अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) और दिल्ली के जामिया में भड़काऊ भाषण देने वाले शरजील इमाम को पुलिस लगातार तलाश कर रही है. लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिल रहा है. शरजील की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली और अलीगढ़ पुलिस की टीम दिल्ली, यूपी समेत बिहार में भी छापेमारी कर रही हैं. उसके खिलाफ दिल्ली और अलीगढ़ पुलिस मे मामला दर्ज किया है. उस पर आईपीसी की 3 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.
कौन है शरजील इमाम
शरजील मूल रूप से बिहार की राजधानी पटना का रहने वाला है. वह वर्तमान में जवाहरलाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) का छात्र है. जहां से वो स्कॉलरशिप के साथ पीएचडी कर रहा है. हाल ही में उसके कुछ वीडियो सामने आए हैं. जिनमें वो सीएए और एनआरसी के विरोध में भड़काऊ और आपत्तिजनक भाषण दे रहा है. उसने 13 दिसंबर 2019 को जामिया में इसी तरह का भड़काऊ भाषण दिया था. उसके बाद सरकार के खिलाफ उसका एक और भड़काऊ भाषण सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हो रहा है. अब गिरफ्तारी के डर से शरजील इमाम फरार है. 2 दिन से उसका मोबाइल फोन भी बंद आ रहा है. शरजील की लास्ट लोकेशन पटना के पास दिघा मार्ग की थी. उसकी तलाश में बिहार के जहानाबाद में भी छापेमारी की गई है. उधर, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित जानी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि वह शरजील की गर्दन काटने वाले को अपनी निजी कमाई से 1 करोड़ रुपया इनाम देगा.
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शरजील के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा
दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के बयानों को मद्देनजर रखते हुए उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए, 153 ए और 505 ए के तहत मुकदमा दर्ज किया है. इन धाराओं का इस्तेमाल शब्दों द्वारा अपराध, या तो बोला गया या लिखित रूप से कानून द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ असहमति. अलग धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने के इरादे से बयान देना या उन्हें बढ़ावा देना. सार्वजनिक उपद्रव के लिए जिम्मेदार बयान भी इसकी वजह हो सकते हैं. इन धाराओं में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को तीन साल तक की कैद हो सकती है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है. अब आपको विस्तार से बताते हैं इन धाराओं के बारे में.
आईपीसी की धारा 124 ए
भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पीनल कोड की धारा 124 ए को ही राजद्रोह का कानून कहा जाता है. अगर कोई व्यक्ति देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधि को सार्वजनिक रूप से अंजाम देता है तो वह 124 ए के अधीन आता है. साथ ही अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है, ऐसी सामग्री का समर्थन करता है. राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है. इन गतिविधियों में लेख लिखना, पोस्टर बनाना, कार्टून बनाना जैसे काम भी शामिल हैं. इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर शख्स को 3 साल की कैद से लेकर अधिकमत उम्रकैद की सजा का प्रावधान है.
कानून का इतिहास
यह कानून अंग्रेजों के जमाने का है. यह कानून अंग्रेजों ने 1860 में बनाया था. 1870 में इसे आईपीसी में शामिल कर दिया गया. उस वक्त अंग्रेज इस कानून का इस्तेमाल उन भारतीयों के लिए करते थे, जो अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाते थे. आजादी की लड़ाई के दौरान भी देश के कई क्रांतिकारियों और सैनानियों पर इस धारा के तहत मामले दर्ज किए गए थे. आजादी से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लोकमान्य तिलक को भी इस कानून के चलते सजा दी गई थी. तिलक को 1908 में उनके एक लेख की वजह से 6 साल की सजा सुना दी गई थी. वहीं महात्मा गांधी को भी अपने लेख की वजह से इस कानून के तहत आरोपी बनाया गया था. देश आजाद होने के बाद इस कानून में कई बदलाव भी किए गए हैं. अगर हाल ही के चर्चित मामलों की बात करें तो पिछले सालों में काटूर्निस्ट असीम त्रिवेदी, हार्दिक पटेल, कन्हैया कुमार आदि को इस कानून के तहत ही गिरफ्तार किया गया था.
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आईपीसी की धारा 153 ए
भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 153 के अनुसार, जो भी कोई शख्स अवैध बातें करके किसी व्यक्ति को द्वेषभाव या बेहूदगी से निशाना बनाता है और ऐसे भाषण या बयान से परिणामस्वरूप उपद्रव हो सकता है. तो वे मामले इसी धारा के तहत आते हैं. अगर उपरोक्त भाषण या बयान की वजह से उपद्रव होता है, तो दोषी व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता हैय साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. या फिर सजा के तौर पर दोनों ही लागू हो सकते हैं. लेकिन अगर उपरोक्त आपत्तिजनक भाषण या बयान से उपद्रव नहीं होता तो भी दोषी को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है और उस सजा को 6 माह तक बढ़ाया जा सकता है. या जुर्माना और कैद दोनों हो सकते हैं.
ऐसे अपराध में लिप्त दोषी को उपद्रव हो जाने पर एक वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों हो सकते हैं. हालांकि यह एक जमानती और संज्ञेय अपराध है. जो किसी भी मेजिस्ट्रेट की अदालत में विचारणीय हो सकता है. अगर उपरोक्त मामले में उपद्रव नहीं होता है तो दोषी को 6 महीने कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों हो सकते हैं. यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है. जिसे प्रथम श्रेणी के मेजिस्ट्रेट सुन सकते हैं. इस तरह के मामले में समझौता नहीं हो सकता.
आईपीसी की धारा 505 ए
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 505 के अनुसार, अगर भारत की सेना, नौसेना या वायुसेना का कोई अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक विद्रोह करे या वह अपने कर्तव्य की अवहेलना करे या उसके पालन में असफल रहे. या सामान्य जन या जनता के किसी भाग को ऐसा डर हो, जिससे कोई व्यक्ति राज्य के विरुद्ध या सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने के लिए उत्प्रेरित हो. या किसी वर्ग या समुदाय को किसी दूसरे वर्ग या समुदाय के विरुद्ध अपराध करने के लिए उकसाया जाए. या इस तरह के बयानों या आपत्तिजनक भाषणों की रचना, प्रकाशित और प्रसार करे. तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 ए के तहत मुकदमा होता है. दोषी पाए जाने पर उस शख्स को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता है. ये दोनों
धारा 505 की उपधारा 1
विभिन्न वर्गों में दुश्मनी या नफरत पैदा करना. वैमनस्य पैदा करना. या आपत्तिनक भाषण या बयान देना, जिससे विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूहों या जातियों या समुदायों के बीच शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करना या धर्म, मूलवंश, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर लोगों को बांटना या ऐसी कोशिश करना. या इससे संबंधित साजिश रचना. ऐसे विचारों को प्रचारित प्रसारित करना. इसी धारा के तहत आता है. ऐसे में दोषी पाए गए व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. या फिर कैद और जुर्माना दोनों.
धारा 505 की उपधारा 2
पूजास्थल आदि में किसी जनसमूह में, जो धार्मिक पूजा या कर्म करने में लगा हुआ हो और उन्हें कोई व्यक्ति आपत्तिनक भाषण या बयान के माध्यम से भड़काने की कोशिश करे तो दोषी को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे पांच साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. साथ ही इसमें जुर्माने का प्रावधान भी है.
सैन्य-विद्रोह या सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध करने के मकसद से झूठे बयान देना आदि परिचालित करना. विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से झूठे बयान आदि फैलाना. शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से पूजा के स्थान आदि में झूठे बयान या भाषण आदि देना. इसी धारा के तहत आते हैं. ये गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है. जो समझौता करने योग्य नहीं हैं.
FAQs
IPC धारा क्या होता है? ›
INDIA PENAL CODE : भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा बताती है। साथ साथ अपराध करने पर क्या दंड मिलेगा, ये भी बताती है। What is India Penal Code ? भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा बताती है।
IPC में कितनी धारा होती है? ›वर्तमान में, IPC को 23 अध्यायों में विभाजित किया गया है और इसमें कुल 511 धाराएँ हैं।
IPC की धारा 1 क्या है? ›IPC Dhara 1 – संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार
यह अधिनियम भारतीय दण्ड संहिता कहलाएगा, और इसका विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर होगा।
धारा 326 को खतरनाक क्यों माना जाता है? (Why section 326 is considered dangerous?) दोस्तों, अब यह समझ लेते हैं कि धारा 326 को एक ख़तरनाक धारा क्यों पुकारा जाता है। दरअसल, कोई व्यक्ति यदि आईपीसी धारा 326 के तहत आने वाले अपराध बेहद गंभीर श्रेणी के अपराध माने जाते हैं।
किसी को अपमानित करने पर कौन सी धारा लगती है? ›आईपीसी की धारा 500 में मानहानि के मामले में दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है. अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की मानहानि का दोषी पाया जाता है तो उसे दो साल की जेल या जुर्माने या दोनों की सजा हो सकती है. File not found !
आईपीसी सर्टिफिकेशन कितने समय तक चलता है? ›आईपीसी प्रमाणन नवीनीकरण
पुन: प्रमाणन अवधि प्रत्येक दो वर्ष में होती है जिस समय आपको प्रत्येक कार्यक्रम के लिए अपने आईपीसी प्रमाणीकरण को नवीनीकृत करने की आवश्यकता होती है।
महिला पर हाथ उठाने में कौन सी धारा लगती है? महिला पर हाथ उठाने में भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 323 लगती है।
धोखाधड़ी करने पर कौन सी धारा लगती है? ›कानूनी नजरिए से धारा 420 के बारे में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी के साथ धोखा करता है, छल करता है, बेईमानी से किसी की बहुमूल्य वस्तु या संपत्ति में परिवर्तन करता है, उसे नष्ट करता है या ऐसा करने में किसी की मदद भी करता है तो उसके खिलाफ धारा 420 लगाई जा सकती है.
धारा 323 504 506 में क्या सजा है? ›- धारा 323: अगर कोई अपनी इच्छा से किसी को चोट या नुकसान पहुंचाता है, तो ऐसा करने पर उसे 1 साल तक की कैद या 1 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. - धारा 506: अगर कोई व्यक्ति किसी को आपराधिक धमकी देता है, तो ऐसा करने पर उसे 2 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.
धारा 151 कब लगती है? ›धारा 151 निवारक गिरफ्तारी से संबंधित है। यदि पुलिस का मानना है कि वे संज्ञेय अपराधों को रोक सकते हैं, तो उन्हें व्यक्तियों को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें रोकने का प्रयास करना चाहिए। यदि व्यक्ति अपराध करने में सफल हो जाते हैं, तो पुलिस उन्हें धारा 151 के बजाय संहिता की धारा 41 के तहत गिरफ्तार करेगी।
धारा 107 116 कब लगती है? ›
गुंडे-बदमाशों के अतिक्रमण तोड़ने के बाद अब पुलिस और प्रशासन इन पर सख्ती के लिए दिवाली बाद नई कार्रवाई शुरू करेगा। इसके तहत इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 107 और 116 के तहत प्रकरण बनाए जाएंगे और इन्हें एसडीएम कोर्ट में पेश कर 50 हजार और इससे अधिक राशि के बाउंडओवर कराए जाएंगे। बाउंडओवर तोड़ने वालों को सीधे जेल भेजा जाएगा।
धारा 116 कब लगती है? ›Indian Penal Code: अगर कोई शख्स किसी को ऐसे अपराध के लिए बहकाता है, जिसके लिए वह कारावास की सजा का भागीदार होगा. मगर बहकावे में आया शख्स उस अपराध को अंजाम नहीं देता. यानी कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण, यदि अपराध न किया जाए. भारतीय दंड संहिता की धारा 116 (Section 116) इसी के बारे में प्रावधान करती है.
ऐसी कौन सी धारा है जिसमें जमानत नहीं होती है? ›गैर जमानती अपराध भारतीय संविधान की दंड सहित में IPC की धरा इस प्रकार है- 115, 121, 121क, 122, 123, 124, 124क, 125 से 128, 130 से 134, 136, 153क, 153ख, 161, 170, 194, 195, 231 से 235, 237, 238, 239, 244 से 251, 255 से 258, 267, 295, 295क, 302, 303, 304, 304ख, 305, 306, 307, 313 से 316, 326 से 329, 331, 333, 363क, 364, ...
धारा 302 में कितने दिन में जमानत हो जाती है? ›सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में किए गए अवलोकन के अनुसार, यदि कोई अपराध मौत की सजा है, तो न्यूनतम सजा जो भी हो, जांच की अवधि 90 दिनों की होगी। इसी तरह, यदि अपराध उम्रकैद के साथ दंडनीय है, भले ही प्रदान की गई न्यूनतम सजा 10 साल से कम हो, तो डिफ़ॉल्ट जमानत 'उपलब्ध होने से पहले हिरासत की अवधि 90 दिन होगी।
धारा 307 में कितने दिन में जमानत हो जाती है? ›कारण है कि घटना के वीडियो के फुटेज के साथ ही पीड़ित पक्ष ने 307 धारा के तहत मामला दर्ज करने और अभियुक्त पुलिस कर्मी की गिरफ्तारी के महज एक दिन में ही बैरकपुर कोर्ट द्वारा उसे जमानत दे दी गयी है। इससे न केवल पीड़ित परिवार, इलाके के लोग, बल्कि कोर्ट के कर्मी भी सकते में हैं।
मानहानि का केस कौन कर सकता है? ›मानहानि की कानूनी मामले में कड़ी कार्रवाई की जाती है। इसके तहत भारत का कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसकी प्रतिष्ठा या मान-सम्मान की हानि हुई हो वो CR. P.C. की धारा 499 के अंतर्गत उस व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दायर कर सकता है।
अगर कोई आपका अपमान करे तो क्या करें? ›यदि आप अपमानित महसूस करते हैं, तो बेहतर होगा कि आप तुरंत कमरा छोड़ दें । जहां तक हो सके जाओ, एक सांस लो और शांत हो जाओ। यदि यह एकमात्र तरीका है जिससे आप और अपमान से बच सकते हैं, तो इसे करें। इससे आपको कम आहत महसूस करने में भी मदद मिलेगी और आप अपनी शांति बनाए रख सकते हैं।
गंदगी फैलाने पर कौन सी धारा लगती है? ›धारा 269 में ऐसा काम जिससे संक्रामक रोग फैलने की आशंका हो छह महीने की सजा का प्रावधान है। धारा 270 में संक्रामक रोग फैलाने जैस काम पर दो साल की सजा का प्रावधान है। धारा 277 के तहत जल स्त्रोत या जलाशय में कचरा डालने गंदा करने पर तीन महीने की सजा या 500 जुर्माने का प्रावधान है।
क्या आप आईपीसी को फेल कर सकते हैं? ›क्या आप IPC को विफल कर सकते हैं? नहीं! IPC में विफल होने जैसी कोई बात नहीं है । यदि ऐसे कौशल हैं जिनके लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता है, तो हम ऐसा तब तक करेंगे जब तक कि आप आवश्यक कौशल को संतोषजनक ढंग से पूरा नहीं कर लेते हैं और अपनी क्षमता में सुरक्षित और आत्मविश्वास महसूस नहीं करते हैं।
आईपीसी पर क्या कवर किया जाना चाहिए? ›एक प्रभावी आईपीसी में प्रभावी होने के लिए जमीन, सिम्युलेटर और उड़ान खंड शामिल होना चाहिए। एयरमैन निर्णय लेने के कौशल पर पूरे आईपीसी में चर्चा की जानी चाहिए और इसे मजबूत किया जाना चाहिए।
कौन सा आईपीसी प्रमाणीकरण सबसे अच्छा है? ›
IPC प्रमाणन के चार स्तरों में से, एक MIT को सर्वोच्च माना जाता है । एक बार यह उन्नत IPC प्रशिक्षण पूरा हो जाने के बाद, एक MIT CIT और CIS को प्रशिक्षित कर सकता है और उनके प्रशिक्षुओं को पहले स्तर की तकनीकी और प्रशासनिक सहायता प्रदान कर सकता है।
फोन पर गाली देने पर कौन सी धारा लगती है? ›भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पीनल (Indian penal code) जिसे, संक्षेप में आईपीसी (IPC) भी कहा जाता है, की धारा 294 के अंतर्गत गाली देने को अपराध करार दिया गया है। इसके लिए कानून में सजा का भी प्रावधान किया गया है।
जान से मारने की धमकी देने पर कौन सी धारा लगती है? ›आपको जानकारी दे दें दोस्तों कि भारतीय दंड सहिता (indian penal code) यानी आईपीसी (IPC) की धारा 506 के तहत इसे अपराध (crime) घोषित किया गया है। कानून में जान से मारने की धमकी देने वाले व्यक्ति को 7 वर्ष तक के कठोर कारावास का प्रावधान (provision) किया गया है।
420 के मुकदमे में क्या होता है? ›Section 420 के तहत अपराध और सजा
आईपीसी के सेक्शन 420 में ऐसे व्यक्ति के लिए सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान रखा गया है। जिसके द्वारा बेईमानी या धोखे से किसी व्यक्ति को कोई भी संपत्ति दी जाती है या किसी के बहुमूल्य वस्तु या उस वस्तु के भाग को धोखे से बेचा या हस्तांतरित किया जाता है।
यदि आप आईपीसी की धारा 420 के तहत आरोपित हैं, जो की संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है आपको तुरंत किसी अनुभवी वकील की सहायता से सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दाखिल करना चाहिए। अगर मामले में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने से पहले पुलिस आपको गिरफ्तार कर लेती है, तो आप नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
क्या मैं अपने पति के खिलाफ फिलीपींस में धोखाधड़ी के लिए मामला दर्ज कर सकती हूं? ›बेवफाई रिपब्लिक एक्ट नंबर आरए 9262 के तहत भी दंडनीय है, अन्यथा महिलाओं और उनके बच्चों के खिलाफ हिंसा विरोधी कानून ("वीएडब्ल्यूसी कानून") के रूप में जाना जाता है। बार-बार वैवाहिक बेवफाई को मनोवैज्ञानिक हिंसा माना जाता है जो 6 साल और 1 दिन से 12 साल तक के कठोर कारावास से दंडनीय है।
धारा 147 148 149 का मतलब क्या है? ›धारा 147- (बलवा करना) दो साल की कैद व जुर्माना। धारा 148- (हथियारों के साथ बलवा करना) तीन साल कैद व जुर्माना। धारा 149- समूह द्वारा हिंसा व सजा में बराबर की भागीदारी। धारा 307- (हत्या का प्रयास), 10 साल कैद व जुर्माना।
धारा 323 और 324 क्या है? ›IPC Section 324 - साधारण मार-पीट के केस में धारा-323 के तहत केस दर्ज होता है। इसके लिए अदालत के आदेश के बाद पुलिस केस दर्ज करती है। अगर किसी के साथ कोई मार-पीट करता है, तो पीड़ित को पहले एमएलसी करा लेनी चाहिए जिससे जब कोर्ट में शिकायत की जाए तो सबूत के तौर पर मेडिकल लीगल सर्टिफिकेट (एमएलसी) लगाया जा सके।
धारा 509 कब लगती है? ›धारा 509 के अंतर्गत कोई भी ऐसा शब्द बोलना या किसी स्त्री के शील का अपमान करने का इरादा से कोई इशारा करना इस धारा के अंतर्गत अपराध कहलायेगा इस अपराध की प्रकृति जमानती है. धारा 509 आईपीसी के मुताबिक अपराधी को तीन वर्ष का साधारण कारावास या आर्थिक दंड अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।
एक्ट 151 क्लीयरेंस पीए कितना है? ›फिर आपसे $8.00 (क्रेडिट/डेबिट कार्ड) का भुगतान करने के लिए कहा जाएगा। 21. एक बार भुगतान जमा हो जाने के बाद अपनी रसीद प्रिंट करें और फिर आवेदन जमा करें पर क्लिक करें।
151 में कितनी सजा होती है? ›
जब कोई गैर क़ानूनी जन सभा किसी समाज के लोगों में अशांति फ़ैलाने की कोशिश करती है, तो वहाँ की पुलिस ऐसे सभी अपराधियों को जो किसी भी प्रकार से उस गैर क़ानूनी जन सभा से जुड़े हुए हैं, तो ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 151, के अनुसार कारावास की सजा का प्रावधान दिया गया है, और जिसकी समय सीमा को 6 बर्ष तक ...
हाथ पैर तोड़ने पर कौन सी धारा लगती है? ›किसी भी जोड़ या अंग को तोड़ देना या उस पर घोर आघात करना भी धारा 320 के अंतर्गत अर्थात गंभीर चोट में आता है।
107 116 का मतलब क्या होता है? ›आर्थिक, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेलना पड़ता है। 107 व 116 की कार्रवाई दो पक्षों में विवाद की संभावना के ²ष्टिगत ही किया जाता है। यह कार्रवाई एक पक्षीय होती ही नहीं है। इसमें सक्षम न्यायालय पर जाकर पक्षकारों को जमानत करानी होती है, जिसमें छह माह के लिए एक मुश्त धनराशि के लिए पाबंद किया जाता है।
धारा 108 कब लगती है? ›इसका जवाब धारा 108 A में छुपा हुआ है. धारा 108 A कहता है कि अगर दुष्प्रेरक (उकसाने वाला) भारत में किसी को किसी अपराध के लिए दुष्प्रेरण (उकसाना) करता है. अगर दुष्प्रेरण के प्रभावित व्यक्ति विदेशों में जाकर उस अपराध को अंजाम देता है. तो ऐसी हालत में भी दुष्प्रेरक दोषी माना जाएगा और उसे सजा मिलेगी.
धारा 106 कब लगती है? ›IPC की धारा 106 के अनुसार, जिस हमले से मृत्यु की आशंका (Death due to attack) युक्तियुक्त रूप से कारित होती है उसके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा (Private defense) के अधिकार का प्रयोग करने में यदि प्रतिरक्षक (Defender) ऐसी स्थिति में हो कि निर्दोष व्यक्ति की अपहानि की जोखिम के बिना वह उस अधिकार का प्रयोग कार्यसाधक रूप से ...
धारा 144 कब लगती है? ›धारा-144 वहां लगती है, जहां पर दंगा होने का खतरा दिखाई लगता है. धारा 144 लगने के बाद उस इलाके में चार या उससे ज्यादा आदमी एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं. धारा 144 लागू होने के बाद उस इलाके में हथियारों के ले जाने पर भी पाबंदी होती है. धारा 144 को 2 महीने से ज्यादा समय तक लागू नहीं किया जा सकता है.
धारा 110 कब लगती है? ›IPC की धारा 110 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी भी अपराध (Offence) के किए जाने का दुष्प्रेरण (Abetment) करता है, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति ने दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न (Intention of the abettor) वह कार्य किया हो, तो वह उसी दण्ड से दण्डित (Punished with punishment)किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित (Provided for the ...
धारा 117 कब लगती है? ›IPC की धारा 117 अनुसार, जो भी कोई सामान्य जन (Public), या दस से अधिक व्यक्तियों की किसी भी संख्या या वर्ग द्वारा किसी अपराध (Offence) के किए जाने का दुष्प्रेरण (Abetment) करता है, तो वह दंडनीय अपराध (Punishable offence) का भागीदार है.
भारत में जमानत मिलने में कितना समय लगता है? ›अदालतों में जमानत देने के मापदंड बेहद अलग हैं। कुछ अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है, तो कई कार्रवाई पर। मान लीजिए किसी गंभीर अपराध में 10 साल की सजा का प्रावधान है और यदि 90 दिन में आरोप-पत्र दाखिल नहीं हो तो जमानत हो सकती है।
अग्रिम जमानत मिलने में कितना समय लगता है? ›अगर हम अग्रिम जमानत या नियमित जमानत के लिए आवेदन करते हैं, तो जमानत कितने समय में स्वीकृत हो सकती है? यदि एक जमानत याचिका नियमित जमानत (नियमित मतलब जब व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया हो) के लिए सत्र न्यायालय में दायर किया जाता है, तो मामला का निर्णय आमतौर पर 1 या 2 दिनों में तय हो जाता है।
फांसी की सजा में कौन सी धारा लगती है? ›
उमेश पाल अपहरण के आरोपियों पर जो आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धाराएं लगाई गई हैं, उसमें आईपीसी की धारा 364ए शामिल है। इस धारा के तहत अधिकतम सजा के तौर पर फांसी या फिर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। इसके साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 147, 148, 149, 323, 341, 504, 506, 342, 364, 34, 120 आईपीसी की धारा भी लगी है।
धारा 304 कब लगती है? ›आपको बता दें भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का केस चलता है. इस मामले में अगर कोई आरोपी दोषी पाया जाता है, तो अपराध की गंभीरता के आधार पर उसे आजीवन कारावास भी हो सकता है. आपको बता दें हत्या के सभी अपराध गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आते हैं.
मर्डर केस में कितने दिन की सजा होती है? ›कोई भी व्यक्ति अगर हत्या का दोषी साबित होता है तो उसपर आईपीसी की धारा 302 लगाई जाती है. इस धारा के तहत उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है.
झूठा आरोप लगाने पर कौन सी धारा लगती है? ›दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली अधिवक्ता शुभम भारती ने बताया कि आईपीसी की धारा 482 के तहत झूठी एफआईआर को चैलेंज किया जा सकता है. अगर आपके खिलाफ या आपके जाननेवाले के खिलाफ कोई झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है तो धारा 482 के तहत उसे हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है.
307 के मुकदमे में क्या होता है? ›भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के अनुसार, जो भी कोई ऐसे किसी इरादे या बोध के साथ विभिन्न परिस्थितियों में कोई कार्य करता है, जो किसी की मृत्यु का कारण बन जाए, तो वह हत्या का दोषी होगा, और उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा।
धारा 308 और 307 में क्या अंतर है? ›धारा 307 और धारा 308 में अंतर (dhaara 307 aur 308 mein kya antar hai) धारा 307 के तहत अपराधियों को हत्या के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि धारा 308 के तहत उन लोगों को हत्या के प्रयास के रूप में वर्गीकृत किया गया है। धारा 307 हत्या के प्रयास को परिभाषित करती है, जबकि धारा 308 हत्या के प्रयास को परिभाषित करती है।
धारा 207 कब लगती है? ›जो कोई किसी संपत्ति को, या उसमें के किसी हित को, यह जानते हुए कि ऐसी संपत्ति या हित पर उसका कोई अधिकार या अधिकारपूर्ण दावा नहीं है, कपटपूर्वक प्रतिगृहीत करेगा, प्राप्त करेगा, या उस पर दावा करेगा अथवा किसी संपत्ति या उसमें किसी हित पर किसी अधिकार के बारे में इस आशय से प्रवंचना करेगा कि तद्द्वारा वह उस संपत्ति या उसमें ...
धारा 323 504 506 लगने के बाद क्या नौकरी लगने में कोई बाधा होता है? ›धारा 323,504 506 लगने के बाद क्या नौकरी लगने में कोई बाधा होता है गिरफ्तार होने पर – आपकी सरकारी नौकरी है और आपके ऊपर किसी भी तरह का कोई अपराधिक मुकदमा या फिर F.I.R दर्ज है चाहे वह केस मारपीट का मर्डर का या अन्य किसी भी एक्ट के अंतर्गत आप पुलिस के द्वारा गिरफ्तार हो जाते हो।
क्या 307 एक जमानती अपराध है? ›धारा 307 का विवरण
आजीवन कारावासी अपराधी द्वारा प्रयास: अगर अपराधी जिसे इस धारा के तहत आजीवन कारावास की सजा दी गयी है, चोट पहुँचता है, तो उसे मृत्यु दंड दिया जा सकता है। यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है। यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।
भारतीय दंड संहिता में धारा 307 के मामलों से जुड़े हुए अपराधियों को किसी भी प्रकार की अग्रिम जमानत देने का प्रावधान नहीं किया गया है। धारा 307 से संबंधित अपराधी की अग्रिम जमानत याचिका जिला न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा शीघ्र ही निरस्त कर दी जाती है क्योंकि यह एक गैर जमानती एवं संज्ञेय अपराध माना जाता है।
308 केस में क्या होता है? ›
भारतीय दंड संहिता की धारा 308 के अनुसार, जो भी कोई इस तरह के इरादे या बोध के साथ ऐसी परिस्थितियों में कोई कार्य करता है, जिससे वह किसी की मृत्यु का कारण बन जाए, तो वह गैर इरादतन हत्या (जो हत्या की श्रेणी मे नही आता) का दोषी होगा, और उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या ...
323 504 में जमानत कैसे मिलती है? ›आईपीसी की धारा 323 के तहत आरोपी होने पर जमानत के लिए आवेदन करने के लिए, आरोपी को अदालत में जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत करना होगा। अदालत फिर समन को दूसरे पक्ष को भेज देगी और सुनवाई के लिए एक तारीख तय करेगी। सुनवाई की तारीख पर, अदालत दोनों पक्षों की दलीलें सुनेगी और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर निर्णय देगी।
घर में घुसकर मारपीट करने पर कौन सी धारा लगाई जाती है? ›किसी के घर बगैर मर्जी घुसना आईपीसी (IPC)- 1860 की धारा 442 के तहत अपराध किसी व्यक्ति के घर में जबरदस्ती घुसना, मारपीट अथवा अतिचार करना।
504 और 506 आईपीसी क्या है? ›आईपीसी की धारा में मुख्य रूप से जिन शब्दों को अपराध माना गया है अगर जानबूझकर किसी का अपमान करना उकसाना और यह जानना है कि उसके इस तरह से उकसाने से कोई भी व्यक्ति शांतिभंग करेगा और कोई अन्य तरह का अगर अपराध करेगा तो इस तरह अपराध करने वाले व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 504 और 506 के तहत उस को दंड दिया जाएगा।